दिल्ली के आर्कबिशप की चिट्ठी से ऐसा लग रहा है कि देश में अल्पसंख्यकों के साथ बहुत गलत हो रहा है। क्या वाकई भारत में हालात इतने खराब है ?
ऑर्कबिशप अनिल जोसेफ थॉमस काउटो (कैथोलिक) ने देश के पादरियों को एक चिट्ठी लिखी। कहा कि देश में अशांत राजनीतिक माहौल धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा है। जोसेफ ने पादरियों से 2019 के आम चुनावों के लिए अभी से हर हर शुक्रवार उपवास और प्रार्थना करने को कहा है। आर्कबिशप की चिट्ठी से ऐसा लग रहा है कि देश में अल्पसंख्यकों के साथ बहुत गलत हो रहा है। क्या वाकई यहां हालात इतने खराब हैं? एक ये मुल्क है जहां किसी भी धार्मिक नेता को गैर धार्मिक मुद्दों पर बोलने की भी आजादी है और एक मुल्क है पाकिस्तान जहां ईशनिंदा करने पर सजा-ए-मौत तक हो सकती है….
आईये जाने कुछ रोचक तथ्य – अल्पसंख्यक : इंडिया Vs पाकिस्तान
हिंदुओं को जबरन बनाया जाता रहा है मुसलमान
– पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी वहां की कुल आबादी का तकरीबन 1.6 प्रतिशत है। आजादी के बाद से ही अल्पसंख्यक हिंदुओं पर जमकर अत्याचार होते रहे हैं। हिंदू लड़कियों का धर्मपरविर्तन कर जबरन मुस्लिम से विवाह कराना यहां आम था। भारत में जोर-जबर्दस्ती से धर्म परिवर्तन कराना अपराध है।
नॉन मुस्लिम नहीं बन सकता पीएम-प्रेसिडेंट
– पाकिस्तान में गैर मुस्लिम कभी भी देश का पीएम या प्रधानमंत्री नहीं बन सकता चाहे वो चुनाव ही क्यों न जीत जाए। इसके पीछे ये तर्क दिया जाता है कि देश का प्रधानमंत्री या प्रेसिडेंट वही हो जो पूरी तरह से इस्लाम को जानता-समझता हो और इसे आगे बढ़ाने की शिक्षा दे सके। जबकि भारत में अल्पसंख्यक किसी भी पद पर बैठ सकते हैं। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को देश धार्मिक आइने से नहीं देखता बल्कि दिल से इज्जत करता है।
ईशनिंदा पर सजा-ए-मौत
– पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून में इबादतगाहों को अपवित्र करने, मजहबी भावनाएं भड़काने और कुरान शरीफ को नुकसान पहुंचाने जैसे अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। हजरत मोहम्मद की आलोचना पर सजा-ए-मौत भी हो सकती है। इसका सबसे ज्यादा शिकार अल्पसंख्यक बनते हैं, जो गलती से भी इबादतगाह पहुंच जाएं तो उन्हें अपराधी मान लिया जाता है और उनकी कोई सुनवाई नहीं होती। हिंदुस्तान में किसी भी धर्म के प्रचार-प्रसार और आलोचना की छूट है।
सालों बाद शुरू हुई होली-दिवाली की छुट्टी
– हमारे देश में जहां हर त्यौहार पर छुट्टियां दी जाती हैं, तो वहीं पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के त्यौहारों को कोई मान्यता नहीं। लंबे समय बाद यहां होली-दिवाली की छुट्टी मिलना शुरू हुई हैं।
जरुरी है की ऑर्कबिशप अनिल जोसेफ थोडा पड़ोसी मुल्क के आंतरिक हालातों पर भी गौर कर लें, तो उन्हें भारत जरुर अच्छा लगने लगेगा |