अमृतसर के स्थानीय प्रशासन को ही नहीं थी रावण दहन की सूचना, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर ने भी झाड़ा पल्ला।
पंजाब के अमृतसर में दशहरे के दिन रावण दहन का हर्षोल्लास कुछ पल में ही मातम में बदल गया। 62 से ज्यादा लोगों की तेज़ रफ्तार ट्रेन की चपेट में आकर मौत हो गयी, 150 से ज्यादा गंभीर रूप से घायल हैं, पूरा देश सिहर गया लेकिन इतनी संवेदनशील घटना की जिम्मेदारी 12 घंटे बाद भी किसी ने नहीं ली है। रावण दहन के अवसर पर जुटी हजारों की भीड़ की सुरक्षा व्यवस्ठा से बेपरवाह रहे स्थानीय प्रशासन से लेकर 17 घंटे बाद अस्पताल में घायलों का हाल जानने पहुंचे राज्य के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह तक ने मामले से पल्ला झाड़ लिया है।
इस हादसे के पीछे सरकार की विफलता किसी मायने में कम नहीं है। बताया जा रहा है कि सरकार के पास दशहरा समारोह आयोजनों के आंकड़ें ही नहीं थे। सरकारों के पास यह जानकारी भी नहीं थी कि कहां-कहां किस तरह के आयोजनों की अनुमति दी गयी है और कहां पर किस तरह की सुरक्षा व्यवस्था करनी है? सरकारी स्तर पर ऐसे आयोजनों के लिए अनुमति लेने वालों के लिये और सुरक्षा संबंधि व्यनस्था के लिये सरकार ने कोई भी मापदंड स्थापित नहीं किये हैं।

सवाल कई हैं, कार्यक्रम के आयोजकों को रेल ट्रैक के निकट इतने बड़े समारोह की अनुमति क्यों दी गयी? आयो़जकों को अनुमति देने के बाद स्थानीय प्रशासन द्वारा रेलवे प्रशासन को समारोह के समय व स्थान की सूचना क्यों नहीं दी गयी? भीड़ को नियंत्रित करने के लिये और ट्रैक से दूर रखने के लिये पर्याप्त पुलिस बल व पुलिस बैरिकेड्स की व्यवस्था क्यों नहीं की गयी? अगर राज्य सरकार द्वारा यह सामान्य सावधानियों का ध्यान रखा गया होता तो यह भीषण रेल हादसा टल सकता था।